कुछ पल

वक़्त अगर वहीं थम जाता तो बात ही कुछ और होती..
आपकी नज़रों से ओझल होने की नौबत ही नही आती...
थे जब आप सामने तब लगा सब अपना सा...
अब यह सब लगता है बेगाना सा....
चाहते हैं कि रहे आप नज़रों के सामने..
पर वक़्त है कि यह भी ना माने....

समुद्र की लहरों की तरह चल रही है ज़िन्दगी...
जिसमे आते हैं खुशी के वो चार दिन...
पर फिर बन जाते है हम बैरागी....
और काटते हैं दिन रात तेरे बिन...

बस लिए एक तमन्ना अपने दिल में...
कर रहे हैं इंतेज़ार इन पलों के...
जब होगा आपका साथ हमारे साथ..
और फिर बढ़ेगा आपका वो हाथ....

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